सबसे मासूम हैवान के गुनाहों का हिसाब जानने के लिए अभी आपको कुछ और इंतज़ार करना पड़ेगा. जी हां, मासूम भी और हैवान भी. मासूम इसलिए क्योंकि क़ानून की नजर में वो बड़ा कहलाने से सिर्फ 170 दिन छोटा रह गया. और हैवान इसलिए क्योंकि वो अब तक के सबसे वहशियाना गैंगरेप और कत्ल के मामले का मुल्जिम है. जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड को उसकी तकदीर पर गुरुवार को फ़ैसला सुनाना था, जिसमें गुनाह साबित होने पर ज़्यादा से ज़्यादा तीन साल की सजा होती. लेकिन अब 16 दिसंबर के पहले इंसाफ के लिए 25 जुलाई तक इंतजार करना होगा.
जुल्म तो घंटे भर का था. दरिंदगी भी कुछ देर की और हवस शायद पल भर की. फिर जान भी एक ही गई. तो इतना हंगामा क्यों? 16 दिसंबर के पहले इंसाफ को लेकर इतना हो-हल्ला क्यों? इस देश में 16 दिसंबर से पहले या उसके बाद फिर कोई रेप, गैंगरेप या मर्डर नहीं हुआ क्या?
बिल्कुल हुआ है और आज भी हो रहा है. पर 16 दिसंबर की रात को उस घंटे भर के जुल्म, कुछ देर की दरिंदगी और पल भर की हवस ने पहली बार 23 साल की उस लड़की के दर्द को पूरे देश का दर्द बना दिया था. वो 13 दिन तक हर रोज़ मरती रही और 13 दिन तक देश शोक मनाता रहा. और 13 दिन बाद जब वो सचमुच मर गई तो हिंदुस्तान के हर घर को लगा जैसे ये उसका अपना मातम हो. और बस इसीलिए 16 दिसंबर के इस पहले फैसले पर पूरे देश की नजरें गड़ गई थीं.
कमाल है, 16 दिसंबर की उस खौफनाक रात का सबसे बड़ा हैवान वो. पूरे देश को झकझोर देने वाले गैंगंरेप का सबसे बड़ा शैतान वो. शराब पीने की उम्र उसकी. छेड़खानी की समझ उसे. रेप करने की हवस उसमें. उसकी दरिंदी की कहानी सुनकर खुद बच्चे रात को डरने लगें. पर उसे उसकी दरिंदगी की पूरी सजा नहीं दी जा सकती थी. क्योकि 16 दिसंबर 2012 की रात जब वो बस की पिछली सीट पर एक लड़की की इज्जत के साथ-साथ उसकी रूह तक को नोच रहा था तब वो 17 साल छह महीने और 11 दिन का बच्चा था.
जी हां, पूरा देश उस हादसे के बाद दर्द, गुस्सा आंहों और आंसुओं से लड़ता रहा. गैंगरेप के दरिंदों को सख्त से सख्त सजा देने की मांग करता रहा. मांगें मानी भी गईं. जल्द फैसले के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाया गया. लेकिन सितम देखिए कि जिस पर उस रात सबसे ज्यादा जालिम होने का इलजाम था, वही सबसे कम सजा पाकर निकल गया. क्य़ोंकि उस रात वो 17 साल छह महीने और 11 दिन का बच्चा था.
तीन साल, जी हां! फकत तीन साल. यही अधिकतम सजा है हमारे देश में उस नाबालिग के लिए जिसने चाहे रेप किया हो या मर्डर. शुक्रवार को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड को 16 दिसंबर पर पहला फैसला देना था. पहला इंसाफ करना था, मगर ये टल गया, 25 जुलाई तक के लिए. अब 25 जुलाई को फैसला होगा कि उस 17 साल छह महीने और 11 दिन के बच्चे के साथ क्या किया जाए? उसे कितनी सजा दी जाए? कैसी सजा दी जाए? पर जो भी सजा होगी वो होगी तीन साल के दायरे में ही. क्योंकि दोषी ठहराए जाने के बाद भी ज्यादा से ज्यादा उसे यही सजा मिल सकती है. यानी तीन साल, वो भी जेल में नहीं, कहीं और. कहां ये भी अभी साफ नहीं है. क्योंकि जुर्म करने के बाद अब ये बच्चा बड़ा हो गया है लिहाजा बच्चों के साथ भी नहीं रखा जा सकता.
सिर्फ 170 दिन और उसके गले से फांसी का फंदा हमेशा-हमेशा के लिए दूर हो गया. अगर यही घिनौना जुर्म उसने 170 दिन बाद किया होता तो शर्तिया इस जुर्म के लिए उसे उम्र कैद से लेकर फांसी तक हो सकती थी, पर नहीं हुई. क्योंकि उस रात वो 17 साल छह महीने और 11 दिन का बच्चा था.
गैंगरेप के इस आरोपी बच्चे की उम्र स्कूल सर्टिफिकेट के हिसाब से 16 दिसंबर यानी वारदात वाली रात 17 साल छह महीने और 11 दिन थी. स्कूल सर्टिफिकेट के मुताबिक ये बच्चा 4 जून 1995 को पैदा हुआ था. जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने इसी सर्टिफिकेट को सबूत मानते हुए इसे बच्चा करार दे दिया. और इसके साथ ही ये तय हो गया कि गैंगरेप के बाकी पांच आरोपियों के साथ आईपीसी की धाराओं के तहत 17 साल छह महीने और 11 दिन के इस बच्चे पर मुकदमा नहीं चलेगा.
और इस तरह गैंगरेप का ये छठा आरोपी सिर्फ 170 दिनों की वजह से बच गया. इसी साल 4 जून को ये बच्चा 170 दिन पूरा करने के बाद अब बड़ा भी हो गया है और बालिग भी. पर क्या कीजिए, कानून की नजर में फिर भी वो बच्चा ही रहा. क्योंकि कानून उसकी उम्र उस दिन से नाप रही है जिस दिन उसने जुर्म किया था. और जुर्म की उस रात यानी 16 दिसंबर को वो 17 साल छह महीने और 11 दिन का बच्चा था.
Source ~ Aajtak
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